जैन धर्म भारत का एक मुख्य एवं महान धर्म है। इस स्टोरीमें जैन धर्म की मुख्य विशेषताएं बताई गयी हैं।
सांसारिक इच्छाएं बढ़ती जाती है अतः निवृति का मार्ग अपनाकर भिक्षु बनकर मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
जैन धर्म का विश्वास है कि आत्मा शरीर से अलग होती है, यह पूर्ण एवं निर्विकार है किन्तु कर्मों के कारण बंधन मुक्त नही हो पाती है।
जैन धर्म का विश्वास है कि आत्मा शरीर से अलग होती है, यह पूर्ण एवं निर्विकार है किन्तु कर्मों के कारण बंधन मुक्त नही हो पाती है।
जैन मतावलम्बी कर्म की प्रधानता को स्वीकार कर पुनर्जन्म के सिद्धांत मे विश्वास करते है। मनुष्य कर्मों का फल भुगतने के लिए बार-बार जन्म लेता है।
जैन धर्म का विश्वास है कि अज्ञानतावश व्यक्ति क्रोध, मोह तथा लोभ के वशीभूत होकर जीवन नष्ट कर देते है।
जैन धर्म के महापुरुष तीर्थकर कहलाते है। जैन पन्थ ईश्वर मे विश्वास नही करता था अतः उसमे आस्था का भी प्रश्न नही था।
जैन मत में अहिंसा पर सर्वाधिक बल दिया गया है। अहिंसा का तात्पर्य किसी भी जीव को नही सताना है।
स्यादवाद मे सत्य को परिभाषित किया गया है। महावीर स्वामी ने सत्य पर बल देते हुए उसके विभिन्न आयामों को समझाया है।
जैन विचार के अनुसार यदि कोई मनुष्य किसी प्रकार के कर्म फल को संचित नही करता और सद्कर्मों से पूर्वजन्म के कर्म फलों का नाश कर देता है। यही जीव की मुक्ति है।